Thursday, May 10, 2012

किसी का कल संवारा जा रहा है
हमें किश्तों में मारा जा रहा है ||

किसी को महल की दरकार हुई
हमें घर से निकला जा रहा है ||

कोई श्रृंगार करे सोलहों, सज जाए तनिक
हमारे तन से हर कपडा उतरा जा रहा है ||

किसी की मस्त जवानी को जीत देने को
हमारे प्यार की बाजी को हारा जा रहा है ||

किसी को पाँव कहीं जमीन पर रखने ना पड़ें
हमारा एक ही था जो, सहारा जा रहा है ||

किसी को याद में पल भर को तड़पना ना पड़े
हमारा हर निशान, 'रोहित' मिटाया जा रहा है |

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