Friday, March 23, 2012

एक अबूझ पहेली

गम तो बहुत दिए हैं तुमने
लेकिन खुशियाँ भी उतनी ही 
क्रूर बहुत थी सच है लेकिन 
कोमलता भी थी उतनी ही ||

आंखों में आंसू भर देना
कोई तुमसे सीख के जाए
पर आँखों में स्वप्न संजोने
की क्षमता भी थी उतनी ही ||

ख़्वाबों में आके तड़पाना
तुमसा कोई ना कर पाए 
उसी तरस को मधु से मिटाने 
की तन्मयता भी उतनी ही ||

एक अबूझ पहेली बन के
जीवन को था गूढ़ बनाया 
लेकिन उन गहरी आँखों में
दिखी सरलता भी उतनी ही ||

रोहित 

0 comments: