गम तो बहुत दिए हैं तुमने
लेकिन खुशियाँ भी उतनी ही
क्रूर बहुत थी सच है लेकिन
कोमलता भी थी उतनी ही ||
आंखों में आंसू भर देना
कोई तुमसे सीख के जाए
पर आँखों में स्वप्न संजोने
की क्षमता भी थी उतनी ही ||
ख़्वाबों में आके तड़पाना
तुमसा कोई ना कर पाए
उसी तरस को मधु से मिटाने
की तन्मयता भी उतनी ही ||
एक अबूझ पहेली बन के
जीवन को था गूढ़ बनाया
जीवन को था गूढ़ बनाया
लेकिन उन गहरी आँखों में
दिखी सरलता भी उतनी ही ||
रोहित
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