Sunday, May 13, 2012

जीवन क्या, इक सफ़र अनूठा
साथ मिले, साथी सब छूटे |
जीवन क्या, गोपी की गगरी
कान्हा के कंकड़ से फूटे ||

जीवन क्या, एक नदी पुरानी
बहा किये, सब साथ लिए |
जीवन क्या, एक रात अँधेरी
हो गए स्याह, जो दिए जले ||

जीवन क्या, हंसी अनाथ की
सरल किन्तु अबूझ ये गाथा |
जीवन क्या, आंसू इक दिल के
शोर शराबे में सन्नाटा ||

जीवन क्या, इक ख्वाब सुहाना
खुले आँख, गायब हो जाता |
जीवन क्या, बोतल मदिरा की
गम हो या ख़ुशी, बहता जाता ||

2 comments:

Raghav Abbhi said...

bahut badhiya :D

Ranjeet Pratap Singh said...

@ raghav sir: thanks :)