Monday, August 30, 2010

जीवन क्या ?

जीवन क्या ? एक बहता दरिया
जो हरदम बहता जाता है |
थके मगर ये रुके कभी ना
सारे गम सहता जाता है ||

जीवन क्या ? एक फांस है अन्दर
जो सबके दिल में चुभती है |
चाहे कितना कोई ढूरे
ये सबके अन्दर रहती है ||

जीवन क्या ? एक सफ़र सुहाना
साथ सफ़र चलते कुछ साथी |
कोई मिलता कोई बिछड़ता
संग हमेशा पथ और पाथी ||

जीवन क्या ? एक ख्वाब सुहाना
जो हमने था खूब संजोया |
अब देखो जो पीछे मुडके
सब कुछ पाया, ख्वाब ही खोया ||

जीवन क्या ? ये एक कहानी
बचपन से सुनते आये हैं |
अब तक भागे मृगतृष्णा में
अब जाके हम पछताए हैं ||

जीवन क्या ? बस यारी अपनी
वक्त कोई हो साथ हमेशा |
आस पास हो या हो दूरी
सोचें तेरी बात हमेशा ||

रोहित

3 comments:

rahul..!!.. said...

mast hia bhai!!

Swarupa Rani Sahu said...

nice blogpost...!!
I'd like you to visit my blog too...

Anonymous said...

English isn't my main language, yet I could fully understand this while using google translator. Outstanding article, keep them coming! With thanks!