Friday, December 3, 2010

...

है एक आशिक़ी ये संभलती नही जो
है एक आरजू बस मचलती रही जो
करूँ क्या बता मुझको दिलबर मेरे
मेरी दोनो आँखें तरसती रही जो ....

कि हर रोज़ यूँ ही है दिल मेरा तड़पे
तुघे घूरता, तुमसे मिलने को तरसे
तुम नही सामने, तो ये मरु सा तपे है
देखते ही तुम्हे, मरू पे पानी सा बरसे

तेरी आँख में डूब जाने का दिल है
करूँ प्यार कितना बताने का दिल है
है डरता ये दिल मेरा, नादान हैं थोड़ा
कि संग साथ रिश्ता निभाने का दिल है.

तू जो कहदे मुझसे तो ये जान दे दूं
तेरे ख्वाब पे अपने अरमान दे दूं
है तेरी ही आँखों में अपना बसेरा
तेरी इक खुशी को मैं हर दाम दे दूं

ओ जानम मैं तुझसे करूँ प्यार जब से
दुआ बस यही माँगता हूँ मैं रब से
ये मासूम चेहरा, हँसी ये कयामत
तेरी मुस्कराहट हो हरदम सलामत

रोहित.

0 comments: