Few disclaimers :
Ye kavita poori tarah kalpanik hai, iska kisi vastvik exam yaa test taking agency se koi sambandh nahi hai, agar aisa koi sambandh paaya jaata hai to ye matra ek sanyon hai .
Take it as a newbie's effort at poetry and please don't take it personal.
Dedicated to all CAT aspirants 2009 (and for some of them 2010 ).
ऐ मैना तू गुमसुम क्यूँ है,
क्यूँ छत पे आना छोड़ दिया ?
क्यूँ तेरी आँखें अश्रु भरी,
क्यूँ गीत सुनना छोड़ दिया ?
क्या तेरे सपनो का घर,
कोई प्रोमेट्रिक तोड़ गया ?
या बीच सफ़र में हाथ तेरा,
प्रोफाइल सेलेक्शन छोड़ गया ?
क्या पता नहीं था तुम्हे प्रिये,
ये दुनिया कतई फेयर नहीं
ग्लोबल तकनीक के टाइम में
लोजिक और सेन्स की केयर नहीं ||
क्या हुआ अगर तू आज यहाँ,
सबसे ही अच्छा गाती है,
क्यूँ बचपन में तू पड़ी नहीं,
अब खुद को सुधारे जाती है ||
गर तू छोटे जंगल से है,
तो उनका कोई दोष नहीं,
वो ए सी कार के आदी हैं
पैदल चलने का होश नहीं ||
क्या कारन है, क्यूँ नंबर कम,
उनका कुछ सरोकार नहीं
गर तू सुधारी, तेरी गलती
उनपे तेरा उपकार नहीं ||
पर ऐ मैना, आगे सुन ले
पिक्चर थोरी सी बाकी है,
माला से फूल नहीं बनते,
वोह उनसे गूंथी जाती है ||
रोहित
P.S. -> Rohit is my nick name
Wednesday, April 7, 2010
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2 comments:
hey rohit.. very nicely written..
Great one man
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